पैतालीस वर्षीय मरीज अशोक पुरी गोस्वामी को दाहिनी तरफ लकवा और बोलने में तकलीफ के कारण जबलपुर के नेताजी सुभाष मेडीकल कॉलेज के शासकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था।
एक घंटे में ही मरीज बेहोश होने के साथ बोलने में भी असमर्थ हो गया था। डॉ. निष्ठा यादव, डॉ. अम्बुज कुमार और डॉ. केतन की टीम ने सिटी स्केन द्वारा बीमारी की पहचान कर तुरंत आधी रात में ही मरीज का उपचार शुरू किया और उसकी जान बच गई। ऑपरेशन के बाद मरीज तुरंत होश में आ गया और बात करने लगा। प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने ऑपरेशन में शामिल डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा करते हुए बधाई दी है।
डीन डॉ. कसार ने बताया कि मरीज की खून की नली (बाईं इन्टरनल कैरोटिड ऑर्टरी) में खून का थक्का जमा था। इसी वजह से न वह बोल पा रहा था और दाहिनी ओर लकवा लग गया था। उसकी जाँघ पर एक छोटा-सा चीरा लगाकर खून की नस का थक्का एक कैथेटर द्वारा निकाला गया। मेडीसिन और एनेस्थीसिया के डॉ. आशीष गुप्ता, डॉ. रजत देव, डॉ. कमल राज, डॉ. अनिवेष जैन और डॉ. प्रशांत पाइकरा ने भी ऑपरेशन के दौराना भरपूर मदद की।
डीन डॉ. कसार ने लोगों से अपील की है कि लकवे के बाद मरीज को जितना जल्दी हो सके, अस्पताल में दिखायें। उन्होंने कहा कि लकवा अटेक के 24 घंटे के भीतर यदि ऑपरेशन होता है, तो मरीज के बचने औार ठीक होने की अधिक संभावना रहती है।